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पक्षी सोते हुए क्यों नहीं गिरते,why don't Birds fall while sleeping?



पक्षी सोते हुए क्यों नहीं गिरते,why don't Birds fall while sleeping?


अक्सर पक्षी अपना बसेरा वृक्षों पर करते हैं पक्षी अपने आशियाने यानी पेड़ की शाख 

पर ऊकड़ू बैठकर ही सो जाते हैं लेकिन इस गहरी नींद में सोते हुए पक्षी कभी नहीं गिरते क्या 

पक्षियों के पंजों में लॉक होते है क्यों नहीं गिरते 


चलिये जानते हैं पूरी क्रियाविधि पर्चिंग मेकैनिज्म को पूरा समझने के लिए लेख को एंड तक पढ़े 

पक्षियों की टांगों की पेशियां बड़ी व शक्तिशाली होती हैं पिंडली और पैर पर कम पेशियां होने के 

कारण देखने में पतले व नाजुक लगते हैं 

टांगों के ऊपरी भाग में स्थित कुछ पेशियां की विशेष व्यवस्था और उनके लंबे पट्टे होने के कारण 

पैरों की उंगलियों का स्वचलन होता है जब पक्षी अपने आश्रय या पर्च यानी पेड़ की शाख टावर 

लकड़ी आदि पर ऊकड़ू बैठता है तो उसके पैरों की उंगलियां मैकेनिक नमन कर अपने पर्स को 

जकड़ लेती हैं इस क्रिया में शामिल पक्षियों की पेशियां को पर्चिंग मसल्स और इस क्रिया को 

पर्चिंग मेकैनिज्म कहते हैं यह क्रिया ऑटोमेटिक होती है


Perching mechanism


पर्चिंग मसल्स सभी पक्षियों की स्पेशल प्रॉपर्टीज है पर्चिंग मसल्स दो प्रकार की होती हैं फ्लैक्सर और 

एक्सटेंसर मसल्स फ्लैक्सर पेशियां पेर की उंगलियों को पर्च को जकड़ ने काबिल बनाती हैं इनमें

से 6 पेशियां आगे की उंगलियों को और 2 पेशियां पीछे की अंगुली अलेक्स को कंट्रोल करती है 

सिंपल समझे जब पक्षी अपने पर्च यानी पेड़ की शाख पर बैठता है तब टांग घुटनों पर मुड़ जाती हैं 

इस प्रकार फ्लैक्सर पट्टे खिंच जाते हैं और इस खिंचाव के कारण पंजे की उंगलियां ऑटोमेटिक पर्च 

को चारों ओर मोड़कर मजबूती से जकड़ लेती है 


सभी फ्लैक्सर पट्टे एक यूनिट की तरह काम करते हैं एक पट्टे पर खिंचाव आने से सारी अंगुलियां बंद 

हो जाती हैं पेर्चिंग का सबसे अहम बिंदु इंटरलॉकिंग मेकैनिज्म है 


Interlocking


इंटरलॉकिंग मेकैनिज्म के कारण पैर की सभी उंगलियों पर्च से बंधी रहती हैं फ्लैक्सर पट्टे की निचली 

सतह और पट्टा आवरण की ऊपरी सतह पर मेटा टारसोफ्लेक्सियल जॉइंट पर कटक बने रहते हैं 

जिससे केवल शारीरिक भर के कारण मेटा टारसो जॉइंट पर्च को दबाती है और जैसे ही पक्षी पर्च पर 

बैठता है कट के दोनों अपॉजिट ग्रुप अंतर बंधन या इंटरलॉकिंग बना लेते हैं 

इस इंटरलॉकिंग के कारण पंजा बंद होकर पर्च से जकड़ा रहता है इस वजह से पक्षी शाखा पर 

या पर्च पर नीचे गिरने के खतरे से निडर होकर सोता रहता है यह इंटरलॉकिंग इतनी मजबूत होती है 

की पक्षी ऊकड़ू  बैठकर खाए पिए सोए कोई फर्क नहीं पड़ता 

एक्सटेंशन पेशियां पक्षी के पैरों की उंगलियों को खोलने का काम करती हैं जब पक्षी अपने पर्च या 

शाख से उड़ने के लिए पिंडली उठता है तो एक्सटेंसर पेशियां के पट्टे  कंस्ट्रक्शन होने के कारण पंजे 

की उंगलियां खुल जाती हैं और पक्षी उड़ जाता है 

कुल मिलाकर खुलासा यह है कि जब पक्षी अपने पर्स पर बैठता है फ्लैक्सर पेशियां में खिंचाव होता 

है इस खिंचाव के कारण पंजे की उंगलियां बंद हो जाती हैं 

इंटरलॉकिंग की वजह से पक्षी अपने पर्स पर स्थिर बना रहता है यही कारण है कि पक्षी शाख पर 

सोते हुए कभी नहीं गिरता एक्सटेंशन पेशियां पंजे की उंगलियों को खोलने में मदद करती है और 

पक्षी पर्च से आसानी से उड़ सकता है


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