सभी पक्षियों के अंडे सेने का समय या बच्चे निकल ने का टाइम
पक्षियों के अंडे सेने का समय
पक्षियों के जीवन चक्र का एक महत्वपूर्ण हिस्सा अंडों को सेने की प्रक्रिया
होती है, जो विभिन्न प्रजातियों में अलग-अलग समय लेती है। अंडे सेने का
समय पक्षी की प्रजाति, अंडे के आकार, और पर्यावरणीय परिस्थितियों पर
निर्भर करता है। इस लेख में, हम विभिन्न पक्षियों के अंडे सेने के समय के
बारे में विस्तार से
चर्चा करेंगे।
1. छोटे पक्षी
छोटे पक्षी जैसे तोते, गौरैया, और कबूतर के अंडे सेने का समय अपेक्षाकृत
कम होता है। इन पक्षियों के अंडे का आकार छोटा होता है और यह अंडे
जल्दी गर्म हो जाते हैं, इसलिए इनके अंडे सेने का समय आमतौर पर 10
से 21 दिनों के बीच होता है। उदाहरण के लिए:
- गौरैया (Sparrow): इसके अंडे को सेने का समय लगभग 10-14 दिन
होता है।
- कबूतर (Pigeon): कबूतर के अंडे को सेने में 17-19
दिन लगते हैं।
- तोता (Parrot): तोते की प्रजाति के आधार पर इसके अंडे को सेने का
समय 18-30 दिन तक हो सकता है।
2. मध्यम आकार के पक्षी
मध्यम आकार के पक्षियों में मुर्गी, बत्तख, और अन्य जलपक्षी शामिल होते
हैं। इन पक्षियों के अंडे बड़े होते हैं और इनका बाहरी खोल भी मोटा होता
है, इसलिए अंडे को सेने में अधिक समय लगता है। यह अवधि आमतौर
पर 21 से 35 दिनों के बीच होती है।
- मुर्गी (Hen): मुर्गी के अंडे को सेने का समय 21
दिन होता है।
- बत्तख (Duck): बत्तख के अंडे को सेने में लगभग 28 दिन लगते हैं।
- हंस (Goose): हंस के अंडे को सेने का समय लगभग 30-35 दिन होता
है।
3. बड़े पक्षी
बड़े पक्षियों जैसे शुतुरमुर्ग और ईगल के अंडे सेने में काफी समय लगता है,
क्योंकि इनके अंडे बड़े होते हैं और उनमें पोषण की मात्रा भी अधिक होती
है। इनके अंडे सेने का समय 40 दिनों से अधिक हो सकता है।
- शुतुरमुर्ग (Ostrich): इसके अंडे को सेने का समय 42-45
दिन होता है।
- गिद्ध (Vulture) :इसके अंडे को सेने का समय
55 - 58 दिन होता है।
- ईगल (Eagle): ईगल के अंडे को सेने में लगभग 35-45 दिन लग सकते
हैं।
यहां कुछ पक्षियों के अंडों के ऊष्मायन (अंडों से चूजे निकलने) का समय
दिया गया है:
1. चिड़िया (Sparrow): 10-14 दिन
2. कबूतर (Pigeon): 16-19 दिन
3. तोता (Parrot): 18-30 दिन (प्रजाति के अनुसार भिन्न)
4. मुर्गी (Chicken): 21 दिन
5. बत्तख (Duck): 26-28 दिन
6. राजहंस (Flamingo): 27-31 दिन
7. उल्लू (Owl): 21-37 दिन (प्रजाति के अनुसार भिन्न)
8. बाज (Eagle): 35-45 दिन
9. शुतुरमुर्ग (Ostrich): 42-46 दिन
10. हंस (Swan): 34-45 दिन
11. मोर (Peacock): 28-30 दिन
12. कठफोड़वा (Woodpecker): 11-14 दिन
13. पेंगुइन (Penguin): 32-68 दिन (प्रजाति के अनुसार भिन्न)
14. हंसली (Kingfisher): 18-21 दिन
15. नीलकंठ (Roller): 17-20 दिन
16. कौआ (Crow): 17-19 दिन
17. तोते की छोटी प्रजातियाँ (Budgerigar): 18-21 दिन
18. हॉर्नबिल (Hornbill): 25-40 दिन (प्रजाति के अनुसार भिन्न)
19. फाल्कन (Falcon): 28-32 दिन
20. अल्बाट्रॉस (Albatross): 70-80 दिन
21. हुदहुद (Hoopoe): 14-20 दिन
22. नाइटिंगेल (Nightingale): 13-14 दिन
23. मायना (Myna): 13-15 दिन
24. सारस (Crane): 29-31 दिन
25. टर्की (Turkey): 28 दिन
26. गौरैया (House Sparrow): 10-14 दिन
27. वाटरफाउल (Waterfowl): 25-30 दिन (प्रजाति के अनुसार भिन्न)
28. किंगफिशर की बड़ी प्रजातियाँ (Great Kingfisher): 20-22
दिन
29. काकातुआ (Cockatoo): 24-29 दिन
30. किंगफिशर की छोटी प्रजातियाँ (Small Kingfisher): 16-18
दिन
31. मैगपाई (Magpie): 16-21 दिन
32. पेरेग्रीन फाल्कन (Peregrine Falcon): 29-32 दिन
33. हरियल (Green Pigeon): 12-14 दिन
34. ग्रेट हॉर्नड आउल (Great Horned Owl): 30-37 दिन
35. सैंडपाइपर (Sandpiper): 21-28 दिन
36. गिद्ध (Vulture): 50-60 दिन (प्रजाति के अनुसार भिन्न)
37. कंडोर (Condor): 54-58 दिन
38. सीगल (Seagull): 24-28 दिन
39. स्ट्रॉर्क (Stork): 30-35 दिन
40. कुक्कू (Cuckoo): 11-13 दिन
41. रॉबिन (Robin): 12-14 दिन
42. गौरेया की बड़ी प्रजातियाँ (Large Sparrow): 14-16
दिन
43. स्विफ्ट (Swift): 18-24 दिन
44. फिंच (Finch): 11-16 दिन
45. प्लोवर (Plover): 25-30 दिन
46. जैकडॉ (Jackdaw): 17-20 दिन
47. बिगुल (Bittern): 25-26 दिन
48. वूडकॉक (Woodcock): 21-24 दिन
49. रेड टेल्ड हॉक (Red-tailed Hawk): 28-35 दिन
50. स्नोई आउल (Snowy Owl): 32-34 दिन
51. कौड़ी (Quail): 16-18 दिन
52. लार्क (Lark): 11-14 दिन
53. सारस की बड़ी प्रजातियाँ (Large Crane): 30-35 दिन
54. हेरॉन (Heron): 25-30 दिन
55. किवी (Kiwi): 75-85 दिन
56. रेवन (Raven): 18-21 दिन
57. हेन हारियर (Hen Harrier): 28-32 दिन
58. फ्रिगेटबर्ड (Frigatebird): 40-55 दिन
59. लून (Loon): 28-30 दिन
60. टर्न (Tern): 21-28 दिन
61. बज (Budge): 18-21 दिन
62. काली चिड़िया (Blackbird): 12-14 दिन
63. लैपविंग (Lapwing): 26-28 दिन
64. जुगुली (Jungle Crow): 17-19 दिन
65. ब्लूजै (Blue Jay): 16-18 दिन
66. कौआ (Cuckoo): 11-14 दिन
67. हाइप्सी (Hypsilurus): 12-18 दिन
68. इडुक (Indigo Bunting): 12-14 दिन
69. पोपिन (Popinjay): 20-25 दिन
70. लार्क की छोटी प्रजातियाँ (Small Lark): 10-13 दिन
81. कर्नल (Colonel): 25-30 दिन
82. रातबाज (Nightjar): 18-20 दिन
83. अरोरा (Aurora): 22-25 दिन
84. फ्रेंच स्पैरो (French Sparrow): 13-15 दिन
85. सीप (Snipe): 21-24 दिन
86. बुद्रुक (Budgerigar): 18-21 दिन
87. धनक (Dove): 12-14 दिन
88. कुलंग (Wren): 12-16 दिन
89. गोल्डफिंच (Goldfinch): 12-14 दिन
90. साफ़ा (Saffron): 20-24 दिन
91. ग्रासफिंच (Grassfinch): 12-16 दिन
92. लार्क की बड़ी प्रजातियाँ (Large Lark): 14-18 दिन
93. जंगली कुक्कुट (Wild Hen): 22-24 दिन
94. डॉव (Dove): 12-15 दिन
95. आंगन बत्तख (Domestic Duck): 28-30 दिन
96. कुथल (Coot): 21-28 दिन
97. लिटिल बोटर (Little Boater): 18-20 दिन
98. क्रीज (Crease): 23-27 दिन
99. नाइट इन्कर्स (Night Heron): 24-28 दिन
1101. ड्रैगनफ्लाई (Dragonfly): 20-25 दिन
102. प्लेटर (Platter): 22-26 दिन
103. नाइटिंगेल की छोटी प्रजातियाँ (Small Nightingale): 12-14
दिन
104. टर्न की बड़ी प्रजातियाँ (Large Tern): 25-30 दिन
105. सुनहरी बत्तख (Golden Duck): 28-30 दिन
106. स्नोई इगल (Snowy Eagle): 34-36 दिन
107. हॉर्नबिल की बड़ी प्रजातियाँ (Large Hornbill): 30-40
दिन
108. काकातुआ की छोटी प्रजातियाँ (Small Cockatoo): 21-25
दिन
109. सुराही (Suraahi): 25-30 दिन
110. बुलबुल (Bulbul): 12-15 दिन
प्रत्येक प्रजाति का ऊष्मायन समय प्राकृतिक अनुकूलताओं, जैविक
आवश्यकताओं, और पर्यावरणीय परिस्थितियों के आधार पर अलग-अलग
हो सकता है। अंडों की ऊष्मा, नमी, और सुरक्षा के साथ-साथ पक्षी के
व्यवहार पर भी यह निर्भर करता है।
ये ऊष्मायन अवधि पक्षी की प्रजातियों के साथ-साथ मौसम और तापमान
पर भी निर्भर करती है। कुछ पक्षियों के अंडों को थोड़ा अधिक या कम
समय भी लग सकता है।
ये समय अलग-अलग प्रजातियों और पर्यावरणीय परिस्थितियों के अनुसार
भिन्न हो सकते हैं।
अंडे सेने के दौरान पर्यावरणीय प्रभाव
अंडे सेने का समय पर्यावरणीय परिस्थितियों पर भी निर्भर करता है।
तापमान, आर्द्रता, और स्थान की सुरक्षा जैसे कारक अंडे सेने की अवधि
को प्रभावित कर सकते हैं। यदि तापमान बहुत कम है, तो अंडे को सेने में
अधिक समय लग सकता है, जबकि उच्च तापमान में अंडे जल्दी से सकते
हैं। इसके अलावा, अगर अंडों को सही तरीके से गर्मी नहीं मिलती या
पर्यावरण में अचानक बदलाव होता है, तो अंडों के फूटने की संभावना भी
कम हो सकती है।
पक्षी कैसे अंडे सेते हैं?
पक्षी अंडों को अपने शरीर की गर्मी से सेते हैं। वे अपने शरीर के निचले
हिस्से के पंख हटाकर अंडों को सीधे त्वचा से स्पर्श करते हैं, जिससे अंडों
को आवश्यक गर्मी मिलती है। अंडे सेने के दौरान, पक्षी नियमित रूप से
अंडों को घुमाते रहते हैं ताकि अंडे के अंदर भ्रूण सही तरीके से विकसित
हो सके।
अंडे सेने की रणनीतियाँ
अंडे सेने के दौरान पक्षियों की विभिन्न रणनीतियाँ होती हैं जो उन्हें सुरक्षित
और प्रभावी तरीके से अंडों को सेने में मदद करती हैं। ये रणनीतियाँ
प्रजातियों के अनुसार भिन्न हो सकती हैं। कुछ पक्षी सामूहिक रूप से अंडे
सेते हैं, जबकि कुछ अकेले ही यह कार्य करते हैं। आइए, कुछ सामान्य
रणनीतियों पर एक नज़र डालें:
1. सामूहिक अंडे सेने की रणनीति
कुछ पक्षी जैसे जलपक्षी (बत्तख, हंस आदि) और समुद्री पक्षी सामूहिक
रूप से अपने अंडों को एक ही स्थान पर सेते हैं। इस सामूहिक घोंसले को
कॉलोनी कहा जाता है। यह रणनीति कई तरह के लाभ प्रदान करती है,
जैसे:- सुरक्षा: बड़े समूह में रहने से शिकारियों से बचाव की संभावना
अधिक होती है। शिकारियों को भ्रमित करने के लिए पक्षी सामूहिक रूप से
उड़ सकते हैं या शोर मचा सकते हैं।
- तापमान नियंत्रण: सामूहिक घोंसले में एक ही स्थान पर कई अंडे होने से
अंडों को अधिक गर्मी मिलती है, जिससे अंडे सेने का समय कम हो सकता
है।
2. अकेले अंडे सेने की रणनीति
कुछ पक्षी, जैसे शिकारी पक्षी (ईगल, बाज) और वन्य पक्षी (तोता, मोर),
अकेले ही अपने अंडों को सेते हैं। इनका घोंसला एकांत स्थानों में होता है,
जहाँ शिकारियों की पहुँच कम होती है। इस प्रकार की रणनीति के कुछ
फायदे हैं:
अधिक ध्यान: अकेले अंडे सेने से पक्षी अपने अंडों की सुरक्षा और तापमान
नियंत्रण पर पूरी तरह ध्यान दे सकते हैं।
घोंसले का निर्माण: अकेले अंडे सेने वाले पक्षी घोंसले को अधिक सुरक्षित
और मजबूत बनाते हैं, जिससे अंडों को पर्यावरणीय बदलावों से बचाया जा
सके।
3. नर और मादा दोनों द्वारा अंडे सेने की प्रक्रिया
कुछ पक्षी प्रजातियों में नर और मादा दोनों मिलकर अंडे सेने का कार्य
करते हैं। वे बारी-बारी से अंडों को गर्मी प्रदान करते हैं ताकि एक पक्षी
भोजन की तलाश में जा सके, जबकि दूसरा अंडों की देखभाल करता है।
यह रणनीति ऊर्जा की बचत और अंडों की निरंतर सुरक्षा सुनिश्चित करती
है।
पेंगुइन: पेंगुइन के मामले में, नर पेंगुइन अंडों को पैरों पर रखकर सेते हैं
और मादा भोजन की तलाश में जाती है।
- बाज: नर और मादा बाज बारी-बारी से अंडों की देखभाल करते हैं,
जिससे अंडों की सुरक्षा और तापमान बनाए रखने में मदद मिलती है।
अंडे सेने के बाद के चरण
अंडे सेने के बाद, अंडों से चूजे निकलते हैं, और यह समय पक्षियों के लिए
सबसे महत्वपूर्ण होता है। इस चरण में, चूजों को भोजन की जरूरत होती
है, और उन्हें शिकारियों से भी सुरक्षित रखना होता है। पक्षी अपने चूजों की
देखभाल करने के लिए विभिन्न रणनीतियाँ अपनाते हैं, जैसे:
- चूजों को घोंसले में रखना: अधिकांश पक्षी अपने चूजों को घोंसले में तब
तक रखते हैं, जब तक कि वे उड़ने के लिए सक्षम न हो जाएँ।
- भोजन लाना: माता-पिता दोनों मिलकर चूजों के लिए भोजन लाते हैं और
उन्हें खिलाते हैं, ताकि वे तेजी से विकसित हो सकें।
- सुरक्षा: पक्षी अपने चूजों को शिकारियों से बचाने के लिए सावधानीपूर्वक
घोंसले का चयन करते हैं और समय-समय पर घोंसले के आस-पास
निगरानी
रखते हैं।
चूजों की देखभाल के विभिन्न पहलू
अंडे से चूजों के निकलने के बाद, उनकी सही देखभाल करना पक्षियों के
लिए एक चुनौतीपूर्ण कार्य होता है। चूजों को उचित पोषण, सुरक्षा, और
गर्मी की आवश्यकता होती है, ताकि वे स्वस्थ और तेजी से विकसित हो
सकें। विभिन्न पक्षी प्रजातियाँ अपने चूजों की देखभाल के लिए अलग-अलग
तरीके अपनाती हैं। आइए, इस प्रक्रिया के कुछ महत्वपूर्ण पहलुओं पर
चर्चा करें:
1. चूजों को भोजन कराना
चूजों के लिए पोषण सबसे महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि वे तेजी से बढ़ते हैं
और उनके शरीर को विकास के लिए अधिक ऊर्जा की आवश्यकता होती
है। चूजों को सही मात्रा में और समय पर भोजन मिलना चाहिए ताकि
उनका विकास बाधित न हो। विभिन्न पक्षी प्रजातियाँ अपने चूजों के लिए
अलग-अलग प्रकार का भोजन लाती हैं:
- मांसाहारी पक्षी: शिकारी पक्षी जैसे बाज, ईगल, और उल्लू अपने चूजों के
लिए छोटे जानवर, कीड़े-मकोड़े या मछली लाते हैं। वे शिकार को छोटे-
छोटे टुकड़ों में काटकर चूजों को खिलाते हैं।
- शाकाहारी पक्षी: कुछ पक्षी, जैसे कबूतर और गौरैया, अपने चूजों के लिए
बीज, फल या फूलों का पराग लाते हैं। वे भोजन को आंशिक रूप से
पचाकर चूजों
के लिए नरम भोजन तैयार करते हैं।
- जलपक्षी: बत्तख, हंस, और पेंगुइन जैसे पक्षी अपने चूजों के लिए पानी में
पाए जाने वाले छोटे जीव-जंतु या समुद्री पौधे
लाते हैं।
2. चूजों की सुरक्षा
चूजे शिकारियों के लिए आसान लक्ष्य हो सकते हैं, इसलिए उनकी सुरक्षा
पर ध्यान देना बहुत जरूरी होता है। पक्षी माता-पिता अपने चूजों की सुरक्षा
के लिए अलग-अलग उपाय अपनाते हैं:
- घोंसले की रणनीति: कुछ पक्षी अपने घोंसले को ऊँचे पेड़ों, चट्टानों, या
घनी झाड़ियों में बनाते हैं, ताकि शिकारियों से बचा जा सके। कुछ जलपक्षी
घोंसले को पानी के पास बनाते हैं, ताकि आपातकालीन स्थिति में चूजों को
पानी में छुपाया जा सके।
- रक्षात्मक व्यवहार: यदि कोई शिकारी घोंसले के पास आता है, तो पक्षी
जोर-जोर से आवाज करते हैं या शोर मचाते हैं ताकि शिकारी डर जाए।
कुछ पक्षी शिकारी पर हमला भी कर सकते हैं ताकि चूजों को सुरक्षित रखा
जा सके।
- छलावरण: कई पक्षी अपने चूजों को घोंसले में रखने के बजाय उन्हें पेड़
की पत्तियों या झाड़ियों में छुपाते हैं, जहाँ उनका रंग प्राकृतिक परिवेश से
मेल
खाता है और शिकारियों को उन्हें ढूंढने में कठिनाई होती है।
3. चूजों को उड़ान की शिक्षा देना
जब चूजे कुछ बड़े हो जाते हैं, तो पक्षी माता-पिता उन्हें उड़ने की शिक्षा
देना शुरू करते हैं। उड़ान की यह शिक्षा पक्षी के जीवन के लिए महत्वपूर्ण
होती है, क्योंकि इससे वे भोजन की तलाश कर सकते हैं और शिकारियों से
बच सकते हैं।
- उड़ान का अभ्यास: पक्षी माता-पिता चूजों को छोटे-छोटे उड़ान के प्रयास
करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं। वे उन्हें घोंसले के किनारे पर खड़ा कर
देते हैं और धीरे-धीरे अपने पंख फैलाने के लिए कहते हैं।
- शिकार और भोजन की खोज का प्रशिक्षण: शिकारी पक्षी अपने चूजों को
शिकार करना सिखाते हैं। वे छोटे-छोटे शिकार को घोंसले के पास छोड़
देते हैं ताकि चूजे इसे पकड़ने का प्रयास कर सकें।
- स्वतंत्रता का अभ्यास: कुछ पक्षी प्रजातियों में, माता-पिता चूजों को घोंसले
से बाहर निकालकर उन्हें स्वतंत्र रूप से उड़ने और भोजन की तलाश
करने का अभ्यास करने देते हैं।
4. चूजों के लिए सामाजिक व्यवहार की शिक्षा
पक्षी माता-पिता अपने चूजों को सामाजिक व्यवहार भी सिखाते हैं, जो
उनके आगे के जीवन के लिए महत्वपूर्ण होता है। यह सामाजिक व्यवहार
पक्षियों की
प्रजातियों पर निर्भर करता है:
- सामूहिक उड़ान: जलपक्षी जैसे हंस और बतख अपने चूजों को सामूहिक
उड़ान
का अभ्यास कराते हैं, ताकि वे झुंड में रहकर उड़ना सीख सकें।
- शिकार के दौरान सहयोग: शिकारी पक्षियों के चूजे शिकार करते समय
एक-दूसरे की सहायता करना सीखते हैं, जो उनके जीवित रहने के लिए
महत्वपूर्ण
है।
- घोंसले के क्षेत्र की रक्षा: कुछ पक्षी अपने चूजों को घोंसले के क्षेत्र की
सुरक्षा के महत्व को सिखाते हैं, ताकि वे अन्य पक्षियों को घोंसले के करीब
न आने दें।
सार
और महत्वपूर्ण प्रक्रिया होती है। प्रत्येक पक्षी प्रजाति के पास अपने चूजों की
देखभाल के लिए विशिष्ट रणनीतियाँ और तकनीकें होती हैं। अंडे सेने का
समय, चूजों को भोजन कराना, उनकी सुरक्षा, और उड़ान की शिक्षा सभी
इस प्रक्रिया के आवश्यक भाग हैं। यह प्रक्रिया सुनिश्चित करती है कि चूजे
स्वस्थ और स्वतंत्र होकर बड़े हो सकें और प्रजातियों की निरंतरता बनी रहे।
पक्षियों के जीवन चक्र में यह देखभाल का चरण केवल जैविक रूप से ही
महत्वपूर्ण नहीं है, बल्कि यह माता-पिता पक्षियों के अनुभव और उनके ज्ञान
का भी अद्भुत
प्रदर्शन है।
अंडे सेने का समय और प्रक्रिया पक्षियों की जीवनशैली और उनकी
प्रजातियों के अनुसार भिन्न होती है। चाहे छोटे पक्षी हों या बड़े, सभी के
अंडों को सेने की अपनी-अपनी रणनीतियाँ होती हैं, जो उनके अस्तित्व के
लिए महत्वपूर्ण हैं। अंडे सेने की प्रक्रिया केवल नई पीढ़ी के निर्माण का
साधन ही नहीं है, बल्कि यह प्रजातियों के संरक्षण और उनकी निरंतरता के
लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।
अंडों से चूजे निकलने के बाद माता-पिता का कार्य समाप्त नहीं
होता, बल्कि चूजों को सुरक्षित और पोषित करना उनकी जिम्मेदारी बनती
है। इसलिए, पक्षियों के जीवन चक्र में अंडे सेने का समय और बाद के
चरण, दोनों ही महत्वपूर्ण होते हैं।
पक्षी के अंडे से चूज़े कैसे विकसित होते है
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