Nicobar Pigeon, निकोबार पक्षी का शिकार छोटे पत्थर पाने के लिए क्यों किया जाता है
निकोबार पक्षी का शिकार छोटे पत्थर पाने के लिए क्यों किया जाता है
Nicobar Pigeon
निकोबार कबूतर को कई अलग-अलग नामो से जाना जाता है जैसे निकोबार पिजन निकोबार डब
कलोईनस निकोबारीका और निकोबार कबूतर इस पक्षी का शिकार एक छोटे पत्थर को पाने के
लिए क्यों किया जाता है
चलिए जानते हैं पूरी हकीकत निकोबार पिजन क्लास ऐवीज फैमिली कोलंबियाडाई का बेहद
आलीशान और खूबसूरत परिंदा है इसका जूलॉजिकल नाम यानी साइंटिफिक
नेम कलोईनस निकोबारिक का है
SCIENTIFIC NAME OF NICOBAR PIGEON - CALOENUS NICOBARICA
निकोबार कबूतर कबूतरों की सबसे सुंदर प्रजाति में से एक है यूं तो कबूतरों की दुनिया भर में
सैकड़ो प्रजातियां पाई जाती हैं लेकिन जीनस कलोईनस की इकलौती जीवित प्रजाति है भारत में यह
अंडमान निकोबार द्वीप समूह पर पाए जाते हैं इसके अलावा मलेशिया, इंडोनेशिया, थाईलैंड,
वियतनाम, फिलीपींस, सोलोमन और पलाऊ के द्वीपों पर पाए जाते हैं निकोबार कबूतर दूसरे
कबूतरों से थोड़ा बड़ा होता है इसकी लंबाई 40 सेंटीमीटर होती है इसका शरीर चमकीला मैटेलिक
हरा सर भूरे रंग का होता है गर्दन ऑयली लंबे मैटेलिक ग्रीन बालों के समान, पूछ सफेद रंग की और
अपेक्षाकृत छोटी होती है पैर मजबूत हल्के लाल रंग के होते हैं
नर मादा पक्षी देखने में एक समान लगते हैं लेकिन मादा थोड़ी छोटी होती है निकोबार कबूतर जोड़ों
में या 20 से 30 के झुंड में एक दीप से दूसरे दीप तक घूमते हैं कई बार यह सिंगल भी देखे जाते हैं
यह भोजन की अधिकता वाले क्षेत्रों में दिन गुजरते हैं इ इनकाभोजन अनाज, फल, फूल व कलियां
आदि होता है
इंसानों से ज्यादा दूर नहीं जाते लेकिन शिकारीओ से बचने के लिए अपतटीय दीपों पर बसेरा करते
हैं यह तेज उड़ान भरते हैं जबकि जमीन पर ही दाना चुगना पसंद करते हैं इनका प्रजनन काल
जनवरी से मार्च तक चलता है प्रजनन काल के दौरान मादा सदाबहार वनों की उची व घनी टहनियों
को एक साथ जोड़कर घोंसला बनाती है जहां यह सुरक्षित रूप से अंडे रख सकें एक मादा एक
रिप्रोडक्टिव पीरियड के दौरान 1 से 2 हल्के नीले या सफेद रंग के अंडे देती है
दो हफ्ते तक नर मादा अंडों को सेते हैं इसके बाद अंडों से चूज़े निकलते हैं चूजे निकलते ही कुछ
दिन तक चूज़ों को सिर्फ दूध पिलाया जाता है अब आप सोच रहे होंगे कबूतर अपने बच्चों को दूध
कैसे पिलाते हैं ज्यादा मालूमात के लिए हमारी वीडियो का लिंक नीचे दिया गया है
Video Link - https://youtu.be/knqxa4XKd5w?si=9PqtGRt_GWlVoePM
एक महीने के अंदर जूते व्यास यानी जवान उड़ने लायक हो जाते हैं जंगलों में इनकी घटती संख्या
को देखते हुए आईयूसीएन IUCN यानी इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन का नेचर ने रेड लिस्ट
में संकटग्रस्त प्रजाति के रूप में क्लासिफाई किया है
निकोबार कबूतर का शिकार मांस पालतू व्यापारके लाइट किता जाता है इसके आलावा गिजार्ड
पत्थरों को हासिल करने के लिए भी पकड़ा जाता है इनको गीजार्ड या पेट में छोटे पत्थर होते हैं जो
की सख्त बीज और गिरी दार मेवो को पीसकर खाना पचाने में मदद करते हैं
इस छोटे गिजार्ड पत्थर के शिकार
इन गीजार्ड पत्थरो को पाने के लिए निकोबार कबूतर का शिकार किया जाता है क्योंकि इन पत्थरो
का इस्तेमाल जेवरात बनाने में किया जाता है गिजार्ड पत्थर से वेश कीमती बहुमूल्य आभूषड़ तैयार
किये जाते है यही कारण है की गिजार्ड पत्थर पाने के लिए निकोबार कबूतर को मारा जाता है
इसलिए इस सुंदर पक्षी का संरक्षण बेहद जरूरी है दोस्तों आप क्या सोचते हैं इस खूबसूरत परिंदे के
बारे में कमेंट करके जरूर बताएं
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