गिद्ध वापस आएंगे? Vulture Comeback?
गिद्ध वापस आएंगे? Vulture Comeback?
इस टॉपिक में बात करेंगे गिद्धों की वापसी की गिद्धों की संख्या करोड़ों से लाखों और लाखों
से हजारों में सिमट कर रह चुकी है क्या एक बार फिर गिद्धों की संख्या हजारों से लाखों और लाखों
से करोड़ों में आबादी कायम कर पाएगी अगर आप भी जानना चाहते हैं कि गिद्धों की आबादी का
पूनः निर्माण कैसे होगा और इसमें क्या कठिनाइयां आएंगी और गिद्धों को लेकर सरकार की नीति
क्या है तो टॉपिक को एंड तक पढ़े और साथ ही हमारे ब्लॉग को भी फॉलो कीजिएगा क्यों जरूरी
गिद्ध है गिद्धों का पतन कैसे हुआ यह जानने के लिए हमारी वीडियो देखें कहां
गए गिद्ध लिंक नीचे मिल जाएगा
गिद्धों की वापसी कैसे होगी
अब बात करते हैं गिद्धों की वापसी कैसे होगी चलिए जानते है भारत सरकार ने गिद्धों के संरक्षित
प्रजनन उत्पादन को सफल बनाने के लिए बहुमुखी योजना का कार्यवित की है संरक्षण कार्यक्रम
योजना का मकसद जंगलों में गिद्धों की आबादी 2030 तक पुनः स्थापित करना है
आबादी बढ़ने के लिए सुरक्षित कैप्टिव ब्रीडिंग और ऐसे नेचुरल क्षेत्र की पहचान करना जहां मौजूदा
वक्त में गिद्ध है और नए गिद्ध जन्म ले रहे हैं ऐसे क्षेत्र के आसपास डिक्लोफेनेक मुक्त भोजन सुनिश्चित
कर अनुकूल वातावरण देकर गिद्ध सुरक्षित क्षेत्र घोषित किया जाए
पर्यावरण दिवस के मौके पर पर्यावरण मंत्री ने गिद्धों को स्वच्छ भारत अभियान के सबसे बड़े
स्वयंसेवक बताते हुए गिद्ध के संरक्षण के लिए सभी जरूरी कदम उठाने की बात कही सरकार
ने गिद्ध के संरक्षण और प्रजनन के लिए 12 करोड़ से ज्यादा खर्च किए हैं
भारत में गिद्धों की तीन गिप्स नस्लों का संरक्षण किया जा रहा है BNHS बी एन एच एस मुंबई नेशनल
हिस्ट्री सोसाइटी द्वारा तीन केन्द्रो
1 पिंजोर हरियाणा
2 राजभातखाबा पश्चिम बंगाल
3 रानी असम
में चलाए जा रहे हैं इसके अलावा केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण द्वारा जूनागढ़, भोपाल, हैदराबाद,
गुवाहाटी और भुवनेश्वर आदि में चिड़ियाघरों को गिद्ध प्रजनन के लिए मान्यता प्राप्त की गई है
गिद्ध प्रजनन में सुविधा
प्रजनन केंद्रो या ब्रीडिंग सेंटर्स के लिए किशोर पक्षियों को देश के विभिन्न हिस्सों से पड़कर लाया जाता
है पहचान के लिए पैरों में संख्या युक्त प्लास्टिक की रिंग डाल दी जाती है BNHS मुंबई नेशनल हिस्ट्री
सोसाइटी के प्रजनन केन्द्रो में गिद्धों के लिए सभी जरूरी सुविधा उपलब्ध कराई जाती है जैसे पिंजौर
प्रजनन केंद्र में गिद्धों के लिए पूर्ण अनुकूल वातावरण और सुविधा उपलब्ध है
गिद्धों के लिए घोसले, खाना, पानीऔर बीमार पक्षियों के लिए चिकित्सा सुविधा उपलब्ध है कृत्रिम
इनक्यूबेशन सुविधा उपलब्ध है गिद्धों के भजन के लिए विशेष रूप से बकरा, भैंस आदि का मांस
दिया जाता है जिस जानवर का मांस गिद्धों को दिया जाता है पहले उसे एक से दो सप्ताह के लिए केंद्र
में रखा जाता है ताकि किसी दवा या टॉक्सिस इफेक्ट से पूरी तरह मुक्त हो सके मांस को मेडिकल
परीक्षण के बाद ही गिद्धों को खिलाया जाता है
BNHS मुंबई नेशनल हिस्ट्री सोसाइटी के पिंजौर प्रजनन केंद्र में सबसे पहला चूजा, सफेद पीठ वाला
गिद्ध का चूज़ा सन 2007 में पैदा हुआ था बेलान चोंच वाले गिद्ध का चूजा 2009 में, और 2010 में
पहला लंबी चोंच वाला गिद्ध का चूजा आर्टिफीसियल इन्क्लुबेशन की मदद से पैदा हुआ था और पला
बड़ा इसी तरह से गिद्धों का प्रजनन की दर बढ़ती जा रही है गिद्धों को व्यस्क होने परयहां से गिद्धों
को खुली फिजा में आजाद किया जाता है जिससे गिद्धों की आबादी का पुनः निर्माण किया जा सके
कठिनाइयों
लेकिन गिद्धों के प्रजनन कार्यक्रम में कुछ कठिनाइयों भी है जिनका जिक्र करना भी जरूरी
है गिद्ध लंबी उम्र होने की वजह से 5 वर्ष की उम्र में व्यस्क की यानी प्रजनन के काबिल होते हैं गिद्ध
एक साल में केवल एक ही बार अंडे देते हैं परभक्षी या कोई भी हादसे से नुकसान होने पर, यहां तक
की एक ही अंडा क्यों ना हो और वह भी गंदा क्यों ना हो जाए लेकिन गिद्धों फिर से अंडा नहीं देते एक
साल के बाद ही प्रजनन करते हैं
इसलिए प्रजनन केदो पर अंडों को सहने के लिए आर्टिफिशियल इन्क्लुबेशन का सहारा लिया जा रहा
है गिद्धों के अंडों का हैचिंग टाइम 50 से 55 दिन होता है इसलिए इन दिनों पूरी सावधानी रखी जाती है
ताकि प्रजनन दर बढ़ाई जा सके गिद्धों के प्रजनन कार्यक्रम की सफलता में सबसे बड़ी प्रॉब्लम लिंग
की सटीक जांच करना है क्योंकि नर व मादा दोनों देखने में एक जैसे होते हैं गिद्ध को देखकर लिंग
की जांच करना मुमकिन नहीं है लेकिन ब्रीडिंग सेंटर में अधिक उत्पादन के लिए नर व मादा गिद्धों की
संख्या समान अनुपात में होना जरूरी है इसके लिए भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान में
गिद्धों की जिप्स प्रजातियों में आणविक विधि द्वारा लिंग की जांच यानी पहचान करने का तरीका खोजा
गया |
इसके द्वारा सुरक्षित कैप्टिव ब्रीडिंग प्रोग्राम में सफलता पाने के लिए सहयोग किया जा रहा है भारत के
साथ-साथ दूसरे देशों में भी गिद्धों की आबादी बढ़ाने और सुरक्षित प्रजनन के कार्य किया जा रहे हैं
BNHS बी एन एच एस के सर्वे के अनुसार भारत में गिद्धों की तीन प्रजातियों का प्रजनन किया जा रहा
है चूज़े निकाल रहे हैं बच्चे पल बढ़ रहे हैं आबादी बढ़ रही है बी एन एच एस के द्वारा हर चार साल के
बाद गिद्धों का सर्वे कराया जाता है जैसे ही अगला सर्वे आएगा हम आप तक पहुंचाने की कोशिश
करेंगे और गिद्धों से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी के साथ जरूर हाज़िर होंगे सब कुछ ठीक रहा तो,
जानकारी कैसी लगी कमेंट करके जरूर बताएं
गिद्ध के अंडे की कीमत 50 लाख रूपये
Scientific Name of Vulture, गिद्ध का वैज्ञानिक नाम
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