सारस पक्षी और उससे जुड़े कानून वाइल्डलाइफ एक्ट 1972, Sarus Crane
सारस पक्षी और उससे जुड़े कानून वाइल्डलाइफ एक्ट 1972, Sarus Crane
इस टॉपिक में बात करेंगे सारस पक्षी और उससे जुड़े कानून वाइल्डलाइफ एक्ट 1972 की
चलिए शुरू करते हैं
सारस पक्षी आवास और प्रजनन
सारस बड़े डील दोल वाला सुंदर पक्षी है इसका जंतु वैज्ञानिक नाम एंटीगोन है सारस की दुनिया भर में लगभग
15 से ज्यादा प्रजातियां पाई जाती थी लेकिन अब ज्यादातर प्रजातियां विलुप्त हो चुकी है या विलुप्त होने की
कगार पर है भारत में इनकी चार प्रजातियां पाई जाती हैं ये साउथ ईस्ट एशिया भारतीय उपमहाद्वीप भारत पाक
नेपाल और ऑस्ट्रेलिया के कुछ हिस्सों में पाए जाते हैं भारत में सरस क्रेन गंगा के मैदानी क्षेत्रों में बहुत से पाए
जाते हैं क्योंकि गंगा के मैदानी क्षेत्रों में सारस क्रेन का पसंदीदा आवास है यहां पर यह स्थाई रूप से रहते हैं और
यहां से यह प्रवास नहीं करते यही कारण है कि सारस क्रेन की उत्तर प्रदेश में अधिक संख्या पाई जाती है उत्तर
प्रदेश में कानपुर ज़िले में सबसे ज्यादा पाए जाते है सारस तराई के इलाके, दलदली क्षेत्रो, धान के खेतों के
आसपास 8 से 10 इंच पानी में खाने की तलाश करते हुए देखे जाते हैं
सारस का वैज्ञानिक नाम - गिरस एंटिगोंन है
सरस क्रेन उत्तर प्रदेश का राज्य पक्षी है जब भारत के राष्ट्रीय पक्षी का चुनाव किया जा रहा था तब भी सारस
क्रेन की दावेदारी मौजूद थी लेकिन वहां पर मोर को राष्ट्रीय पक्षी चुना गया अगर आप भी जानना चाहते हैं कि
मोर भारत का राष्ट्रीय पक्षी क्यों चुना गया तो हमारी वीडियो देखे मोर क्यों बना राष्ट्रीय पक्षी इस वीडियो का लिंक
निचे दिया गया है
दोस्तों सारस का शुमार सबसे बड़े और ऊंचे कद के उड़ने वाले पक्षी के रूप में किया जाता है यह दुनिया का
सबसे उंचे कद का उड़ने वाला पक्षी है सारस क्रेन का रंग सफेद या सिलेटी होता है जबकि सर और गर्दन का
ऊपरी हिस्सा गहरे लाल रंग का होता है इसके टांगें और गर्दन लंबी, चोंच बड़ी व नुकीली होती है सारस की
ऊंचाई 5 से 6 फीट वजन 7 से 8 किलोग्राम इसके पंखों का फैलाव 8.5 फीट तक हो सकता है इस विराट
व्यक्तिव के कारण इसको धरती के सबसे उंचे तक के बड़े उड़ने वाले पक्षी के रूप में संज्ञा दी जाती है
नर-मादा देखने में यकसां लगते हैं लेकिन मादा नर के मुकाबले आकार में कुछ छोटी होती है जिसे आसानी से
पहचानी जा सकती है सारस सर्वाहारी पक्षी है जो की अनाज, घास, बीज, कीड़े - मकोड़े और मछलियां आदि
कहते हैं
सारस पक्षी को प्रेम और समर्पण का प्रतीक माना जाता है यह परिंदा अपने पूरे जीवनकाल में यानी अपनी पूरी
लाइफ में एक बार, एक ही पक्षी के साथ जोड़ा बनता है ऐसा माना जाता है कि अगर इसके जोड़े का पक्षी किसी
कारणवश मर भी जाए तब भी यह किसी दूसरे पक्षी के साथ जोड़ा बनना पसंद नहीं करता ऐसा बहुत ही कम
देखा गया है जब सारस पक्षी ने अपनी लाइफ में एक से ज्यादा पार्टनर्स के साथ जोड़ा बनाया हो
सरस का प्रजनन कल वर्षा ऋतु में होता है यह अपना घोंसला शहरीकरण और औद्योगिक क्षेत्र से दूर तराई के
इलाके, दलदलीय क्षेत्र, धान के खेतों,तालाबों, झीलों और नदियों के आसपास हरी-भरी झाड़ियां में बनना पसंद
करते हैं
Wildlife Act 1972
अब बात करते हैं सारस पक्षी के संरक्षण और उससे जुड़े कानून वाइल्डलाइफ एक्ट 1972 की, भारत सरकार ने
वाइल्डलाइफ एक्ट 1972 यानी वन्य जीव संरक्षण अधिनियम सन 1972 में इस उद्देश्य से पारित किया कि वन्य
जीवों के अवैध शिकार जंगली पेड़ों की अवैध कटाई जंगली जानवरों के मांस हड्डी और उनकी खाल आदि के ट्रेड
पर रोक लगाई जा सके इसमें संशोधन कर भारतीय वन्यजीव संरक्षण संशोधित अधिनियम के तहत इसमें दंड
और जुर्माना और कठोर कर दिया गया वाइल्डलाइफ एक्ट 1972 यानी वन्य जीव संरक्षण अधिनियम जंगली
जानवरों, पक्षियों और पेड़ पौधों तथा अन्य जीवों को सुरक्षा प्रदान करता है सरस क्रेन भी एक वन्य जीव यानी
जंगली जंतु है इसिलिये 1972 के तहत सारस क्रेन को संरक्षण दिया जाता है
क्योंकि सरस क्रेन एंडेंजर्ड स्पीशीज यानी विलुप्त होने की कगार पर है इस मॉडर्न दौर में शहरीकरण और
औद्योगीकरण के कारण इनके रहने के ठिकाने कम होते जा रहे हैं मांस और अंडों के लिए उनके अवैध शिकार
और खेतों में कीटनाशक दावों का अधिक उपयोग होने के चलते इनकी संख्या में काफी कमी आई है
इंटरनेशनल लेवल पर इनकी संख्या में हो रही कमी को देखते हुए आईयूसीएन यानी इंटरनेशनल यूनियन फॉर
कंजर्वेशन ऑफ नेचर द्वारा सरस को रेट लिस्ट में शामिल किया गया है यानी संकटग्रस्त प्रजाति घोषित किया
गया है बदलते पर्यावरण के इस दौर में वन्यजीवों पर जीवित रहना चुनौती बन चुका है इसलिए हम सबको चाहिए
सरस पक्षी के संरक्षण में सहयोग करे दोस्तों सारस के बारे आप क्या सोचते कमेंट करके बताये
Scientific name of Sarus crane, vaigyanik naam
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