गौरेया क्यों नजर नहीं आती, House Sparrow
गौरेया क्यों नजर नहीं आती, House Sparrow
आज बात करेंगे एक ऐसे पक्षी की जिसका अक्सर वक्त हमारे घर में ही गुजरता था लेकिन आजकल
हमारी आंख से उझल होती जा रही छोटी सी चिड़िया घरेलू गौरेया, हाउस स्पैरो की आबादी कम
होती जा रही है क्या आपने सोचा है गौरेया क्यों नजर नहीं आती यह कहां रहती है और इनकी संख्या
में गिरावट का कारण क्या है उनकी घटती आबादी को कैसे बढ़ाया जा सकता है सब कुछ बताएंगे
सिलसिले बार ढ़ग से
गौरेया की स्तिथि
चलिए शुरू करते हैं गौरेया ह्यूमन फ्रेंडली छोटी सी चिड़िया है गौरेया की दुनिया भर 26 में पाई
जाती है भारत में उनकी पांच प्रजातियां पाई जाती हैं यह दुनिया के अधिकांश देशों में पाई जाती हैं
लेकिन आजकल गौरेया अपने बुजूद को जिंदा रखने के लिए संघर्ष कर रही है यूरोप में गौरैया
संरक्षण चिंता का विषय बन चुका है ब्रिटिश में इे रेड लिस्ट में शामिल किया जा चुका है
भारत में भी ओर्निथोलॉजिस्ट यानी पक्षी वैज्ञानिकों के मुताबिक पिछले कुछ सालों से गौरैया की
घटती आबादी चिंताजनक है लगातार इनकी संख्या में गिरावट को अगर हमने गंभीरता से नहीं लिया
तो वह दिन दूर नहीं जब गोरिया हमेशा के लिए हमसे दूर हो जाए भारत के बहुत से हिस्सों में
अधिकांश बड़े शहरों में तो यह दिखाई देनी बंद सी हो गई है यहां तक कि अब ग्रामीण क्षेत्रों में भी
ज्यादा नजर नहीं आती
गौरेया की घटती संख्या के कारण
इंडियन काउंसिल आफ एग्रीकल्चर रिसर्च के एक सर्वेक्षण में पाया गया कि देश के अलग-अलग
हिस्सों में गौरेया की संख्या में 20% से लेकर 80% तक गिरावट दर्ज की गई है गौरैया की कम होती
संख्या के कारण पर एक नजर डालते चलें
अनुकूल वातावरण न मिलना
आजकल भले ही हमने चमचमाती सड़के, ऊंची ऊंची इमारतें और आंखें चुधिया देने वाले आलीशान
महल व घर बना लिए हो लेकिन हमारे दिल इतने छोटे हो चुके हैं कि एक छोटी सी चिड़िया जो हम
इंसानों के साथ हजारों साल से रहती आ रही थी और वह हमारे घर में नहीं आ पा रही है ऐसा
इसलिए क्योंकि हमने इस पर ध्यान नहीं दिया हम इंसानों की मॉडर्न लाइफ स्टाइल और पर्यावरण
के प्रति उदासीनता एवं बदलते पर्यावरण इसके सबसे बड़े कारण नजर आते हैं
सच तो यह है कि अब आधुनिक बनावट वाले मकान में गौरैया को घोंसला बनाने की जगह ही नहीं
मिलती अगर मिलती भी है तो हम उसे घोंसला बनाने नहीं देते घर में थोड़ी सी गंदगी फैलने के डर
से, इतनी मेहनत से तिनका तिनका जुटाकर बनाए गए गौरेया के घर को हम एक मिनट में उजाड़
देते हैं इससे उसके अंडे और बच्चे बर्बाद हो जाते हैं गौरेया छोटे पेड़ो या कटीली झाड़ियों में
भी निवास करना पसंद करती है लेकिन आधुनिक मानव इन्हें भी छटता काटता जा रहा है
विकिरण के कारण
गौरैया की आबादी को कम करने में रेडिएशन यानी विकिरण भी एक बड़ा कारण है क्योंकि देश व
दुनिया में लगे बड़ी तादात में मोबाइल टावर गौरेया और दूसरे पक्षियों के लिए भी एक बड़ा खतरा है
क्योंकि इनसे निकलने वाली इलेक्ट्रोमैग्नेटिक किरणे उनकी प्रजनन क्षमता पर बुरा प्रभाव डालती है
यही कारण है कि उनकी नल बढ़ाने की भी क्षमता कम होती जा रही है
कीटनाशक के कारण
गौरैया अनाज और घास के बीजों के अलावा कीड़े मकोड़े भी खाती है यह अपने बच्चों को भी छोटे
कीड़े मकोड़े खिलाती हैं लेकिन फसलों में कीटनाशक के उपयोग से यह छोटे-मोटे कीड़े मकोड़े मर
जाते हैं यही कारण है कि अब गौरैया को प्राकृतिक भोजन मिलना भी आसान नहीं रहा
कुल मिलाकर इस मॉडर्न दौड़ में गौरैया को घोंसला बनाने के लिए जगह प्राकृतिक खानपान और
साफ वातावरण ना मिलने के कारण गोरिया की स्थिति चिंताजनक हो चुकी है
नेचर फॉर एवर समिति के अध्यक्ष मोहम्मद दिलबर के विशेष प्रयासों से पहली बार वर्ष 2010 में
विश्व गौरैया दिवस मनाया गया तब से ही यह दिन पूरी दुनिया में हर साल 20 मार्च को गोरिया
संरक्षण के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए मनाया जाता है वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के
सहयोग से BNHS के एक सर्वेक्षण से पता चलता है कि दिल्ली एनसीआर में 2005 से गौरैया की
संख्या में लगातार गिरावट आ रही है गोरिया के इस जीवन संकट को देखते हुए 2012 में से दिल्ली
के राज्य पक्षी का दर्जा दिया गया इस दौरान उत्तर प्रदेश में भी गौरैया के संरक्षण के लिए विशेष
प्रयास और जागरूकता अभियान चलाए गए थे लेकिन अब यह ठप पड़े हैं
गौरेया को बचाने के लिए उपाय
कुछ महत्वपूर्ण उपाय हमारी छोटी सी कोशिश गौरेया की जिंदगी को आसान बना सकती है सबसे
पहली बात की अगर आपके घर में गोरिया घोंसले बनाए तो उसे बनने दें और घोसले को बिगाड़े न
बल्कि उसकी सुरक्षा का पूरा ध्यान रखें गौरेया पॉलिगेमस और एक सामाजिक प्राणी है इसका
प्रजनन पूरे वर्ष चलता है खासकर मार्च से अक्टूबर तक इसीलिए इसे घोंसला बनाने के लिए एक
मजबूत ठिकाने की जरूरत होती है
गौरेया के लिए आप कृत्रिम घर भी आसानी से बना सकते हैं इसमें कोई ज्यादा मेहनत और पैसे नहीं
लगते| जैसे खली कार्टून, जूते के डिब्बे, प्लास्टिक की बोतले या मटकी में पोर करके घर के उचित
स्थान पर लगाए जिससे गोरिया अपना घोंसला आसानी से बना ले अगर आप ऑनलाइन सर्च करेंगे
तो इस तरह के बहुत सारे तरीके मिल जाएंगे
पक्षियों के लिए दाना पानी घर की छत पर रखना चाहिए न जाने कितनी छोटी चिड़िया गर्मी में पानी
न मिलने के कारण जिंदगी की आखिरी सांस लेती है घरेलू गौरेया का रिश्ता हम और हमारे घर से
बहुत ही पुराना है आज बस गौरेया को थोड़ा सा प्यार और थोड़ी सी फिक्र चाहिए रहने के लिए थोड़ी
सी जगह हमारे घर और हमारे दिल में चाहिए दोस्तों इस छोटी सी चिड़िया को बचाने के लिए आप
भी अपना योगदान जरूर दें और जानकारी कैसी लगी कमेंट करके जरूर बताएं
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