कोलंबो लीबिया सामान्य जंगली कबूतर, Colombo Livia : the common rock pigeon full Details
कोलंबो लीबिया : सामान्य जंगली कबूतर
Colombo Libya : the common rock pigeon
भूमिका Introduction :-
पक्षी महावर्ग टेट्रापोड़ा के ऐविज क्लास के अंतर्गत आते
हैं पक्षियों के अगले पैर यानी पंख विंग में रूपांतरित होते
हैं परो की उपस्थिति पक्षियों का अत्यंत स्पेशल लक्षण है
जो अन्य जंतुओं में नहीं पाए जाते इस प्रकार किसी पक्षी
का एक पर युक्त एवं पंख युक्त,द्विपदी व उड़ने वाले
कशेरुकी के रूप में वर्णन किया जाता है प्राणी विज्ञान
की वह शाखा जिसके अंतर्गत पक्षियों का अध्ययन किया
जाता है पक्षी विज्ञान या Ornithology (आर्निथोलॉजी)
कहलाती है वह शाखा जिसके अंतर्गत पक्षियों के अंडों
का अध्ययन किया जाता है अंडविज्ञान या Oology
कहलाती है
सामान्यतः लोग अन्य जंतुओं की अपेक्षा पक्षियों के संबंध
में अधिक जानकारी रखते हैं वह अपनी उड़ान, रंगीन,
पक्षी वसंत कालीन, चहचहाट, विलक्षण, देशांतर या
प्रवासन मनमोहन स्वभाव तथा मनुष्य के लिए महत्वपूर्ण
आर्थिक उपयोगिता के कारण हमारा ध्यान आकर्षण
करते हैं कबूतर हमारे सुप्रचित पक्षी हैं जिन्हें हम दिन
प्रतिदिन के जीवन में देखते हैं अपने उपयुक्त आकर
उपयुक्त परिणाम हानिरहित प्रकृति एवं बड़ी संख्या में
उपलब्धता के कारण कबूतर प्रतिरूप या टाइप स्टडी
के लिए सार्वधिक अनुकूल है
वैज्ञानिक वर्गीकरण (Scientific Classification) :-
Systematic Position
Phylum - Chordata
Sub phylum - Vertebrata
Subclass - Tetrapoda
Class - Aves
Subclass - Neornithes
Superorder - Neognathae
Order - Columbiformes
Genus - Columba livia
कबूतरो के प्रकार (kinds of Pigeon) :-
कपोत या कबूतर की दुनिया भर में 500 से अधिक प्रजातियां पाई जाती हैं
साधारणतः यह दो प्रकार के होते हैं या दो श्रेणियां में आते हैं जंगली और
पालतू नॉर्मली पाए जाने वाला जंगली कबूतर नील पर्वत कबूतर ( Blu
Rock Pigeon) या सेल फाख्ता (Rock Dove) कहलाता
है इसका प्राणी वैज्ञानिक नाम कोलंबो लिपियां
Columbo livia है पालतू कबूतर आकर, परिणाम, रंग,
अनुपात पंखों के विन्यास का विस्तार आदि में एक दूसरे
से भिन्न होते हैं इनकी कुछ प्रमुख किस्म इस प्रकार हैं
1. कैरिअर (Carrier ) गोला या पत्रवाहक
2. फैनटेल (Fantail ) लक्का या चकदील
3. होमर (Homer ) डाक कबूतर या दरबे में जाने वाला
4. जैकोबिन (Jacobin ) नकाबपोश
5. पाउटर (Pouter ) कौपर
6. टम्बलर (Tumbler ) कलाबाज़ या गिरहबाज़
7. टरबिट (Turbit ) जापानी
8. शिराज़ी (Shirazee )
9. बग़दादी (Baghdadi )
10. मुक्खी ( Mukhi )
इन सभी का उदभव (descent) जंगली कबूतर से कृतिम चुनाव द्वारा हुआ है
प्राकृतिक इतिहास (Natural History ) :-
जंगली कबूतर का वितरण व्यापक रूप से एशिया यूरोप तथा उत्तरी
अफ्रीका में पायी जाती है इनकी अनेक भौगोलिक प्रजातियां और
उपप्रजातियां मिलती हैं यह विशेष कर फिलिस्तीन (इजराइल) में प्रचुर
मात्रा में पाए जाते हैं जहां यह चाहु और गुफाओं, दरारों में क्षिद्रित नरम
चूना पत्थर की खाड़ी चट्टानों में निवास करते हैं
कम से कम दो उपजातियां भारतवर्ष में भी पाई जाती हैं आकर में बड़ी व
हल्के रंग की उपजातियां कोलंबो लिबिया नेग्लेक्टा (Columba livia
neglecta) हिमालय पर्वत पर 13000 फीट की ऊंचाई तक पाई जाती है
छोटे आकार व गहरे रंग की उपजाति कोलंबिया इंटरमीडिए(Columba
livia intermedia) यह सर्वाधिक पाई जाती है भारतीय जंगली कबूतर की
पीठ यानी पुट्ठा (rump) का निचला भाग राख के रंग का होता है जबकि
यूरोप में पाए जाने वाले कबूतर का यह सफेद होता है
आवास Habitat :-
जंगली कबूतर आजादी के साथ कगारो, ददारो, चट्टानों के विवरो, किलो,
और पुराने खंडरो में निवास करते हैं पर यह कभी पेड़ो पर घोंसला बनाकर
नहीं रहते यह है ऐसे घरों में जिसमे लोग रहते हैं उसमे घोसला बना लेते हैं
यह हजारों की संख्या में दिल्ली, मुंबई जैसे महानगरों में देखे जा सकते हैं
जहां धार्मिक स्वभाव के लोग इन्हें नियम से दाना डालते हैं देश के कुछ
देहाती भागों में यह कुओ के छोटे होल्स में भी रहते हैं
आदते, स्वभाव, Habits :-
Nature स्वाभाव
कबूतर सभी पक्षी जातियों में सबसे ज्यादा शांति प्रिय होते हैं डरपोक
निरापद व हानि रहित होने के कारण यह समस्त संसार में शांति एकता व
आनंद का प्रतीक माने जाते हैं यह इंसानों से नहीं डरते हैं और हाथों के
स्पर्श पहले ही उड़ जाते हैं यह झंडो में रहते हैं और एक साथ बसेरा करते
हैं
भोजन और अशन Food and Feeding :-
कबूतर शाकाहारी होते हैं यह दाना, छोटे फल और घास के बीच
आदि कहते हैं ऐसा बताया जाता है कभी-कभी यह छोटे-मोटे कीड़े मकोड़े
भी खा लेते हैं यह पानी अन्य पक्षियों की तरह थोड़ा-थोड़ा चुस्की लेकर नहीं
पीते बल्कि घोड़े के समान पीते हैं सुबह शाम के नियम से अपने वासस्थान
छोड़कर बड़े-बड़े झुँडो में आसपास के खेतों में चुगने के लिए जाते हैं
गमन या चलन Locomotion :-
कबूतरों के लंबे खूबसूरत और मजबूत पंजे होते हैं जो और लंबी उड़ानों में
सहायक होते हैं यह गोरिया के समान एक साथ दोनों पारो पर नहीं उछलते
जमीन से भोजन चुगते समय यह काफी तेज चलते हैं अपने छोटे-छोटे पैरो
बारी-बारी से चलते हैं और हर कदम पर सिर को आगे और पीछे हिलते हैं
इस तरह से दोनों पैरों पर चलने को द्विपदी चाल या bipedal gait कहते हैं
चुकाने पर यह अचानक उड़ाते हैं और जमीन पर पंखों को बचाकर जोर से
चटकटी आवाज पैदा करते हैं
आवाज Sound :-
कबूतर कभी गाते,चाहचाहते या चीखते चिल्लाते नहीं है इनकी आवाज
शोकाकूल विलाप या कू होती है जो कभी-कभी मधुर सिटी के समान प्रतीत
होती है यह गुटर गू गुटर गू जैसे शब्दों के तुल्य आवाज निकालते हैं
पारिवारिक जीवन :-
कबूतर एकसंगमनी, मोनोगेमस जीवन व्यतीत करते हैं नर मादा पक्षी दोनों
एक दूसरे के प्रति सम्मोहित होते हैं और सदा साथ-साथ रहते हैं अद्भुत
बात तो यह है कि उनके प्रेम व प्रणय यांचन या कोर्टशिप की क्रियाएं भी
मनुष्य के समान होती है
प्रजनन Reproduction :-
कबूतरों में प्रजनन कल पूरे वर्ष चलता है खूब मीटिंग और मिथुन क्रिया के
बाद इंटरनल फर्टिलाइजेशन होता है अधिकांश पक्षियों या करीमन की
तरह कबूतरों में भी कोई मिथुन अंग नहीं होता मिथुन के समय नर्मदा की
पीठ पर सवार रहता है इस स्थिति में उसके इनके द्वारा यानी किलोई का
एक दूसरे के सामने आ जाते हैं जिससे न की शुक्राणु शीघ्र ही सीधे मद के
यूरोडियम में पहुंचते हैं इसके बाद शुक्राणु और वाहिनियों में पहुंचकर अंडों
को फर्टिलाइजर करते हैं प्रजनन तेजी से चलता रहता है जिससे एक साथ
के ही पीढ़ियां पर इस पर विप यानी ओवरलैपिंग कर बात करते कर जाती
है
घोंसला
कबूतर घोंसला बनाने में कम रुचि रखते हैं यह खाली पत्थरों व लकड़ी के
तत्वों पर या किसी ऐसे स्थान पर जहां धूप और बारिश से बचा जा
सके छोटी-छोटी लड़कियों या पतली सी मामूली सी जिला का ढीला सा
साधारण चपटा और चबूतरे नमः घोंसला बनाते हैं इसी पर अंडे देते हैं और
अंडे देते हैं बच्चों का पालन पोषण करते हैं
मादा कबूतर अधिकतर दो या दो से ज्यादा अंडाकार सफेद अंडे
देती है एक बार में दो या दो से ज्यादा अंडे देती है प्रत्येक अंडा लगभग
ढाई सेंटीमीटर लंबा और 2 सेंटीमीटर चौड़ा होता है अंडे देने की क्रिया में
नियमित रूप से न व मादा अंडों पर बड़ी-बड़ी बैठते हैं इनके शरीर की
गर्मी से 14 दिन में के बाद अंडों से बच्चे निकल जाते हैं
पैतृक रक्षण
पिलाते हैं तो वीडियो का लिंक नीचे दिया गया है
कबूतरों के क्रॉप में दूध का उत्पादन होता है क्रॉप में कुछ ग्रंथिया होती हैं
जो दोनों पक्षी नर मादा इस श्राव का उत्पादन करते हैं कबूतरों के बच्चों
को पैरेंटल केयर मिलने के बाद जल्दी इनके ऊपर पर आने लगते हैं और
बड़े हो जाते हैं जिससे वह उड़ने लायक होते हैं
स्वाभाविक शत्रु
अभिग्रह वृत्ति
आर्थिक महत्व
जैसा कि पहले ही बताया गया है कि कबूतर मनुष्य और अन्य परभक्षियों के
लिए आसान भोजन है फ्रूट पिजन और ग्रीन पिजन यानी हरियल का
शिकार अधिक मात्रा में किया जाता है इसको भोजन के लिए अति उत्तम
समझा जाता है कबूतर अत्यंत प्रिय घरेलू पालतू पक्षी की तरह रहते हैं और
यह प्रयोगशाला में अध्ययन के लिए महत्वपूर्ण जंतु माने जाते हैं प्राचीन
समय में कबूतरों को युद्ध और प्रेम प्रसंग में दूत के काम के लिए इस्तेमाल
किया जाता था प्रथम विश्व युद्ध के समय 1914 से 1919 में लिखित संदेश
लाने लेजाने के लिए भी कबूतर का उपयोग किया जाता था ऐसा कहा जाता
है कि भारतवर्ष का महान मुगल सम्राट अकबर 20000 कबूतरों का बेड़ा
रखता था जो नियम से डाक को राज्य के एक भाग से दूसरे भाग तक
पहुंचाते थे कबूतरों का प्रयोग बीमारियों के इलाज के लिए भी बताया जाता
है
Scientific name pigeon,कबूतर का वैज्ञानिक नाम
हरियल पक्षी जमीन पर पैर क्यों नहीं रखता
दुनिया के सभी देशों के राष्ट्रीय पक्षी
जाने भारत के सभी राज्यों के राज्य पक्षी कौन कौन से है
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